(क्या विश्व बैंक ने मोदी रिटर्न को कहा हानिकारक? आजकल
सोशल मीडिया पर चुनाव और राजनीति से जुड़ी एक और खबर वायरल हो रही
है। इसमें यह दावा किया जा रहा है कि विश्व बैंक ने मोदी के सत्ता में वापस
आने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अगर मोदी दोबारा सत्ता में आते है
तो भारत में वित्तीय संकट और बेरोज़गारी भारी तबाही मचा सकते हैं।)
✍🏼 चंद्रसेन सिंह
2019
लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक पार्टियों के आईटी सेल और उनके
समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ की वर्षा इस तरह से की जाने लगी
है कि फेक न्यूज़ की बाढ़ सी आ गई है। आज इसमें हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी
डुबकियां लगा रही है जो इसकी सच्चाई से लगभग अनजान है। आज भारत की सवा अरब
जनसंख्या में लगभग 70 करोड़ लोगों के पास फोन है इनमें से 25 करोड़ लोगों की
जेब में स्मार्टफोन है 15.5 करोड़ लोग हर महीने फेसबुक पर आते हैं और 16
करोड़ लोग हर महीने व्हाट्सएप पर रहते हैं। इनमे से एक बड़ी आबादी फेक न्यूज़
का शिकार हो जाती है, क्योंकि उनके लिए फेक न्यूज़ एक अनजान चिड़िया है या
उनके पास फेक न्यूज़ की जांच-पड़ताल करने का समय नहीं रहता।
ऐसे ही कुछ फेक न्यूज़ की हम आज बात करेंगे जो 2019 के चुनावों के दौरान वायरल होते रहे।
1) विंग कमांडर अभिनंदन ने दिया भाजपा को वोट
भारतीय
जनता पार्टी और उनके कट्टर समर्थकों द्वारा देश की सेना का राजनीतिकरण इस
हद तक कर दिया गया है कि उन्होंने विंग कमांडर अभिनंदन को भी नही छोड़ा।
भाजपा समर्थकों द्वारा कुछ दिन पहले एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल की
गयी। इसके साथ यह दावा किया गया कि विंग कमांडर अभिनंदन ने लोकसभा चुनाव
में भाजपा को वोट दिया है। साथ ही उनके द्वारा यह कहा गया है कि मोदी जैसा
नेतृत्व भारत और देश के लोगो के लिए सौभाग्य की बात है। तस्वीर में दिखाई
दे रहे व्यक्ति ने अभिनंदन स्टाइल में मूछें रखी हैं और गले मे भगवा
दुपट्टा लपेट हुआ है। पर वायरल फ़ोटो और अभिनंदन के चेहरे में कोई बहुत बड़ी
समानता नही है, केवल मूछों में थोड़ी समानता है।
ऑल्ट
न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया। जो तस्वीर ली गई है उसमें पीछे
के भाग में गुजराती में 'समोसा सेंटर' लिखा दिखाई दे रहा है। इससे कहा जा
सकता है कि यह फोटो गुजरात मे ली गई है। अभिनंदन का जन्म तमिलनाडु में हुआ
था। इसलिए मतदाता के तौर पर उनका नाम तमिलनाडु से ही रजिस्टर होना चाहिए।
लोकसभा चुनाव का पहला चरण 11 अप्रैल को हुआ, लेकिन इस चरण में तमिलनाडु और
गुजरात दोनो ही राज्यों की किसी भी सीट के लिए मतदान नही हुआ। इस न्यूज़ को
गलत साबित करने का सबसे ठोस सबूत है ' द एयरफ़ोर्स रूल्स 1969 के सेक्शन
164(सी) है ' जिसके अनुसार कोई भी अफसर सेवा में रहते हुए किसी राजनीतिक
कार्यक्रम में शामिल नही हो सकता और खुद को राजनीतिक विचारधारा से नही जोड़
सकता है। इन सभी बातों से हमे पता चलता है कि यह एक फेक न्यूज़ है जिसका एक
ही मकसद है, आम वोटर को प्रभावित करना।
2) बुर्के की आड़ में हो रही फर्जी वोटिंग- संजीव बालियान (BJP)
लोकसभा
का पहला चरण गुरुवार को सम्पन्न हुआ। उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर सीट से
बीजेपी प्रत्याशी संजीव बालियान ने बयान दिया कि बुर्के की आड़ में फर्जी
वोटिंग हो रही है। इस बयान से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर किया जा
रहा है जिसमे कुछ लोगो ने बुर्का पहने लड़कों को पकड़ रखा है। लेकिन बुर्का
पहने लड़के वाली वायरल फ़ोटो चार साल से इंटरनेट पर मौजूद है और इसे अलग-अलग
झूठे दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। 2015 में इसी फ़ोटो को शेयर कर के
दूसरा फर्जी दावा किया गया था ।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई
यूपी से बात करते हुए एडिशनल चीफ इलेक्शन ऑफिसर वी आर तिवारी ने संजीव
बालियान के बयानों के जबाब में कहा कि सभी बूथों पर बुर्का पहनकर आने वाली
महिलाओं की जांच की जा रही है। इसके लिए प्रत्येक बूथ पर महिला कर्मचारी
मौजूद है। उन्होंने बताया कि बुर्का पहनकर फर्जी वोट करते हुए पकड़े जाने का
कोई मामला सामने नही आया है। इस तरह के फेक न्यूज़ को फैलाने का केवल और
केवल एक ही मकसद है, हिन्दू मतदाता को ध्रुवीकृत करना । अतः इस तरह के फेक
न्यूज़ से सबको बचना चाहिए।
3) फेक न्यूज़ के माध्यम से सरकार की नाकामियों को छुपाने के प्रयास
मौजूदा
सरकार और उसके समर्थकों द्वारा समुद्र के किनारे की एक सड़क की तस्वीर को
उत्तराखंड के चारधाम कॉरिडोर का बताया जा रहा है, जो कि मोरक्को(अफ्रीका)
के तांगेर की है। वायरल तस्वीर के साथ यह दावा किया जा रहा है , की इसमें
दिखाई दे रहीं सड़क उत्तराखंड की चारधाम परियोजना की है। तस्वीर में दिखाई
दे रही सड़क समुद्र के किनारे है। जबकि उत्तराखंड में कोई समुद्र नही है।
वही तस्वीर को ध्यान से देखने पर यह पता चल रहा है कि तस्वीर में गाड़ियाँ
सड़क की दायीं ओर से चल रही हैं, जबकि भारत मे गाड़ी सड़क के बाई ओर से चलाने
का नियम है। इससे यह पता चलता है कि वायरल तस्वीर उत्तराखंड की तो क्या
भारत की ही नहीं है। इस तरह के फेक न्यूज़ शेयर करने का एक ही मकसद है सरकार
के कार्यों को बढ़ाचढ़ाकर दिखाकर उसकी नाकामियों को छुपाना।
4) क्या पंजाब में प्रचार कर रहे कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिध्दू को पंजाब की जनता ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा??
आजकल
सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरे बहुत तेजी से वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों
में कुछ युवक कांग्रेस का झंडा लिए बाइक सवार लोगो को पीटते दिखाई दे रहे
है। दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में दिखाई दे रहा व्यक्ति नवजोत सिंह
सिद्धू हैं, जिन्हें पंजाब में दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। जबकि वास्तव में वह
तस्वीर 25 सितंबर 2016 को पंजाब के अजनाल में हुई कांग्रेस की बाइक रैली की
है। रैली के दौरान शिरोमणि अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के
कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया था । जिसमे कुछ लोग घायल भी हुए थे। इस तरह
के फेक न्यूज़ को शेयर करके मौजूदा सरकार के समर्थक यह साबित करना चाहते है
कि कांग्रेस या अन्य पार्टियों को लोग पसंद नही कर रहे हैं। लोगो के बीच
जाकर यह कह रहे है कि पूरी सीट पर हम जीत रहे है, कांग्रेस या अन्य
पार्टीयाँ शून्य पर हैं। आप अपना वोट क्यों बर्बाद करेंगे, इसलिए जीतने
वाली पार्टी को वोट दें। इस तरह की बातें करके वे लोगों को भ्रमित करने का
काम कर रहे हैं।
5) राहुल गांधी ने कहा कि यूपी की महिलाएं हर हप्ते एक बच्चा पैदा कर सकती हैं?
सोशल
मीडिया पर इन दिनों राहुल गांधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जो इंडिया
टीवी के लोगो वाला है। इस वीडियो में राहुल कह रहे हैं कि उत्तरप्रदेश में
ऐसी महिलाएं है जो हर हप्ते एक बच्चा पैदा कर सकती है। महिलाएं साल में 52
बच्चे पैदा कर रही हैं। दोस्तो राहुल गांधी का यह वीडियो 8 साल पुराना है।
जिसमें राहुल गांधी जननी सुरक्षा योजना में हुए भ्रष्टाचार की बात करते
दिखाई दे रहे हैं। वे कहते है कि हमने आरटीआई निकलवाई तो रिपोर्ट में यह
बात सामने आई कि यूपी में ऐसी भी महिलाएं है जो साल में 52 बच्चो को जन्म
दे रही हैं। साफ है राहुल गांधी यहां जननी सुरक्षा योजना में हुए
भ्रष्टाचार को इंगित कर रहे थे। कुछ महिलाएं ऐसी थी जो जननी सुरक्षा योजना
के माध्यम से मिलने वाले 1400 रुपये का लाभ हर हप्ते ले रही थी। राहुल
गांधी का बयान इसी संदर्भ में है। ओरिजनल वीडियो में से 10 सेकंड की क्लिप
काटकर वायरल की जा रही है। ठीक ऐसे ही राहुल गांधी की एक आलू से सोना
बनाने वाली वीडियो को संदर्भ से काटकर वायरल किया गया था। ऐसी फेक
जानकारियों का उद्देश्य एक नेता के व्यक्तित्व पर हमला करना होता है जिसमें
यह साबित किया जाता है कि विरोधी पक्ष के नेता तो मूर्ख हैं, हमारी पार्टी
के नेता बहुत दमदार और बुद्धिमान हैं।
6.) क्या विश्व बैंक ने मोदी रिटर्न को कहा हानिकारक??
आजकल
सोशल मीडिया पर चुनाव और राजनीति से जुड़ी एक और फर्जी खबर वायरल हो रही
है। इसमें यह दावा किया जा रहा है कि विश्व बैंक ने मोदी के सत्ता में वापस
आने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अगर मोदी दोबारा सत्ता में आते है
तो भारत में वित्तीय संकट और बेरोज़गारी भारी तबाही मचा सकते हैं। इस खबर
के साथ विश्व बैंक के पूर्व प्रेसिडेंट जिम योंग किम की तस्वीर भी वायरल हो
रही है।जबकि विश्व बैंक के पूर्व प्रेसिडेंट ने पीएम मोदी के बारे में ऐसा
कोई दावा नही किया है।
7) क्या नीरव मोदी ने कहा कि भाजपा नेताओ ने हमसे 456 करोड़ लेकर हमे भागने में हमारी मदद की?
न्यूज़
18 इंडिया द्वारा ट्वीट की गई खबर के स्क्रीनशॉट को एडिट करके उसमें नीरव
मोदी का यह फर्जी बयान डाला गया है। इसी को सोशल मीडिया पर यूजर्स बिना
सोचो समझे धड़ल्ले से शेयर कर रहे है। वायरल हो रहे बयान और खबर में कोई
सच्चाई नही है।
8) क्या रोहिंग्या, बांग्लादेशी शरणार्थियों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ किया दुर्व्यवहार?

जो
वीडियो वायरल हो रहा है दरअसल वह 7 दिसंबर 2017 को बीजेपी की सूरत रैली का
है। इसमें भाजपा कार्यकर्ता आपस मे हाथापाई करते नजर आ रहे हैं। यह वीडियो
7 दिसंबर 2017 के एबीपी न्यूज़ के यूट्यूब लिंक पर मिल जाएगा । चूंकि
बीजेपी का आईटी सेल और कार्यकर्ता लोगो को डराकर राजनीति करने में महारथ
हासिल कर चुके हैं इसीलिए ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं।
ऐसे
माध्यमों द्वारा यह बात भी ज़ोर शोर से फैलाई जाती है कि विरोधी पक्ष के
नेता उनके खिलाफ कोई षड्यंत्र कर रहे हैं इसलिए फेक न्यूज़ की खुराक का आदी
कोई व्यक्ति उनकी सोच से किसी भी प्रकार का विरोध रखने वाले व्यक्तियों,
न्यूज़ चैनलों या पत्रकारों की हर बात को उसी षड्यंत्र का हिस्सा मानकर उसको
सिरे से नकार देते हैं। इसलिए उनकी पार्टी के खिलाफ लगातार खुलासे होने के
बावजूद उसको वो विरोधियों की एक चाल समझते रहते हैं।
ज्यादातर आबादी सोशल मीडिया से ऐसी खबरों को प्राप्त करती है तो कई बार न्यूज़ चैनल भी फेक न्यूज़ परोसने लगते हैं। अगर
देश में लोगों के दिमाग में फेक न्यूज़ भरकर उनकी सोच को ही नियंत्रित
किया जाने लगे तो फिर जनतंत्र का क्या महत्व होगा? ऐसे में आज भगतसिंह की
एक बात को गांठ बांधकर रख लेने की जरूरत है। भगतसिंह ने कहा था कि 'कठोर
आलोचना और स्वतंत्र विचार क्रांतिकारी सोच के दो मुख्य गुण हैं।' कठोर और
निर्विवाद आलोचना मतलब, हर चीज को आलोचनात्मक तरीके से देखना, किसी बात को
यूं ही न मानकर उसकी जाँच पड़ताल करके ही उसको सच मानना। दूसरी बात
है-स्वतंत्र विचार। दूसरे लोग हमारे दिमाग में अपना विश्लेषण भरें हमें
उनको ये इजाजत नहीं देनी चाहिए। ना ही कोई बात अगर ज्यादा लोग मान रहे तो
उसको हम भी मान लें यानी धारा के साथ बह जाएँ, इसकी बजाय हमारा मत स्वतंत्र
रूप से बनना चाहिए, हमें सही स्रोतों से जानकारियां जुटानी चाहिए पर उनका
तार्किक विश्लेषण खुद करना चाहिए। तभी हम अंधभक्त की बजाय एक स्वतंत्र सोच
के व्यक्ति बन पाएंगे।
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