✍🏼 राघवेंद्र तिवारी
स्वच्छ
हवा हमारे स्वास्थ्य की सबसे मूलभूत आवश्यकता है फिर भी हमने कभी भी इस
बात को ज्यादा तवज्जो नही दी कि क्या हमें शुद्ध हवा मिल रही है? हमनें कभी
अपने जन प्रतिनिधि या नेता से भी इसपर कोई सवाल नहीं उठाया। यही कारण है
कि आज भारत की स्थिति बहुत दयनीय हो चुकी है। हाल ही में आईक्यू एयर विजुअल
संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों
में भारत के 15 शहर आते हैं। गुरुग्राम ने इस मामले में "विश्वगुरु" बनने
का खिताब हासिल कर लिया है जो कि दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है।
यहाँ पर हवा में PM 2.5 की मात्रा 2018 में 135.8 यूनिट पाई गई। गौरतलब है
कि यह WHO द्वारा स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हवा के लिए जारी मानक (10
यूनिट) से 13 गुना ज्यादा है। दिल्ली को भी दुनिया की सबसे प्रदूषित
राजधानी कहा गया है। यह रिपोर्ट पिछले 5 सालों से स्वच्छ भारत अभियान और
उसके पहले के निर्मल भारत अभियान पर गम्भीर सवाल खड़े करती है। बचपन से यह हमारे दिमाग में डाला जाता है की मनुष्य पर्यावरण को बर्बाद कर रहा है, पर ये कौन "मनुष्य" है, हर मनुष्य तो पर्यावरण को एकसमान बर्बाद नहीं कर रहा। सबसे ज्यादा बर्बाद कौन कर रहा है? आखिर लगातार
इस बढ़ते प्रदूषण का जिम्मेदार कौन है?
◆ कोयले का अत्यधिक उपयोग
◆ निजी वाहनों में बेतहाशा वृद्धि
◆ पर्यावरण के नियमों का बेरोकटोक उलंघन
आदि मुख्य कारण गिनाए जा सकते हैं।
2014
से भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है पर इस आधार पर
अगर हम यह मान लें कि हमारी सरकारें पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत प्रयासरत
हैं तो यह किताब के एक पन्ने को पढ़कर पूरी किताब के बारे में राय बनाने
जैसा होगा। दरअसल, भारत मे कोयला ऊर्जा का मुख्य स्रोत है और बीजेपी सरकार
के औद्योगिक निर्माण को गति देने का मुख्य औजार भी। कोयला विभिन्न प्रकार
के जीवाश्म ईंधनों में सबसे ज्यादा प्रदूषणकारी है और जलवायु परिवर्तन का
महत्वपूर्ण कारक भी ।
जब हम कोयले की बात करते है तो
भारत अपने पड़ोसी देश चीन से भी खराब स्थिति में होता है। जहाँ चीन में
कोयले का इस्तेमाल तेजी से घट रहा है वही भारत मे तेजी से बढ़ रहा है। चीन
में कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन भी घट रहा है जबकि भारत मे बढ़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय
ऊर्जा संस्था के अनुसार भारत मे 2035 तक कोयले का इस्तेमाल दोगुना हो
जाएगा। इस तरह से कोयले के इस्तेमाल में हमने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है
2020 तक भारत कोयले का सबसे बड़ा निर्यातक बन जायेगा।
वर्ल्ड
रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट के अनुसार दुनिया भर में प्रस्तावित 1200 MW कोयला
आधारित बिजली संयंत्रों में आधे भारत में हैं। भारत की पांचवी सबसे बड़ी
कंपनी कोल इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी कोयला कंपनी है।
पर्यावरण
पर काम कर रही कई संस्थाएँ इसके लिए सरकार पर दबाव बनाती हैं कि वो
पर्यावरण संरक्षण नियमों की अनदेखी करने वाली कंपनियों पर कार्यवाही करे।
पर वास्तव में कोई उचित और कठोर कार्यवाही कभी की ही नहीं जाती है। कई बार
छोटी मोटी कार्यवाही मसलन, नोटिस भेजना, कंपनी पर आर्थिक दंड लगाना किया
जाता है लेकिन कंपनियां बेखौफ अपना काम जारी रखती हैं और फिर सरकार इन
आर्थिक दण्डों को माफ कर देती है। उल्टा कई बार पर्यावरण संरक्षण की
संस्थाओ पर ही हमला करके अपने चहेते पूँजीपतियों की सेवा की जाती है।
तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदांता कंपनी के स्टरलाइट प्लांट द्वारा फैलाये
जा रहे प्रदूषण और गैस रिसाव से स्थानीय लोग मरते रहते हैं। इसके विरोध
में उतरने वाले 20 हजार लोगों के समूह पर SLR राइफल से निशाना लगाकर
गोलियां दागी जाती हैं, 33 आम नागरिक मारे जाते हैं, जिसमें एक 17 साल का
छात्र भी है। लोग तो शायद कीड़े-मकोड़े होते हैं वोट मिलने के बाद उनके जान
की कीमत ही क्या है। इस हत्याकांड के बाद वेदांता के इस प्लांट को सील कर
दिया गया। फिलहाल वेदांता का कहना है कि प्लांट खुलने की कानूनी प्रक्रिया
चल रही है। शायद जल्दी ही प्लांट दुबारा ज़हर उगलने लगे और उसके काले धुएँ
और तेज सायरन के पीछे उन 33 लोगों की चीखें गुम हो जाएं।
2015 में बीजेपी सरकार ने अडानी की कंपनी पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने
के लिए लगाए गए 200 करोड़ के आर्थिक दण्ड को माफ कर दिया। गुजरात के मुंद्रा
में अपने पोर्ट के आसपास के पूरे इकोसिस्टम को बर्बाद करने के लिए अडानी
पर यह फाइन लगाया गया था। पूंजीपति अडानी प्रधानमंत्री मोदी के काफी करीबी
माने जाते हैं।
2014 में बीजेपी सरकार के बनने के
बाद 2015 में 9000 हजार गैर सरकारी संस्थानों(NGO) का पंजीकरण रदद् कर दिया
था। इसमें मुख्य रूप से सरकार के निशाने पर ग्रीन पीस नाम की एक पर्यावरण
संरक्षण संस्था भी रही थी।
ग्रीन
पीस और एयर विजुयल ने ही मिल कर 2018 वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट नाम से
वायु प्रदूषण पर यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में यह सामने आया है कि
दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 15 शहर भारत के है। इस रिपोर्ट में
शामिल 3000 शहरों में से भारत का गरुग्राम(गुड़गांव), गाजियाबाद सबसे
प्रदूषित शहर है। फरीदाबाद, भिवाड़ी और नोएडा दुनिया के छः सबसे प्रदूषित
शहरों में है। जबकि देश की राजधानी दिल्ली दुनिया का 11वाँ सबसे प्रदूषित
शहरों है।
प्रदूषण की हालत
को जानने के लिए आज किसी मापक यंत्र की जरूरत नहीं है, यह हमारी प्रेमिका
की यादों जैसे है जिसका एहसास आज हर साँस को है। प्रदूषण को रोकने की मंशा
और "प्रयासों" पर हम ऊपर बात कर चुके हैं। शुद्ध हवा हमारा संवैधानिक
अधिकार है। यह याद रखने की जरूरत है कि प्रदूषण हर साल हमारे देश के 25 लाख
से ज्यादा नागरिकों की ज़िंदगी लील जाता है। फेफड़ों की बीमारी हमारे देश
में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इस बार के लोक सभा चुनाव में जब अडानी
के हेलीकॉप्टर से उतर कर विशाल मँच पर चढ़कर हमारे नेताजी जब हमसे वोट
माँगेंगे तो हम शायद साँसों की इस घुटन को जरूर याद रख पाएंगे।
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