पाकिस्तान में दो हिन्दू बच्चियों के अपहरण और जबरन निकाह का मामला बनाम भारत में गुरुग्राम में मुस्लिम परिवार पर हमला
✍️ नितेश शुक्ला
होली के दिन भारत और पाकिस्तान दोनों जगहों पर दो अलग-अलग घटनाएं हुईं।
पहला मामला
पाकिस्तान
के सिंध प्रांत में होली की शाम को दो हिन्दू बच्चियों के अपहरण और उनके
जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह कराने का मामला सामने आया। यह मामला तब सामने
आया जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आई जिसमें इन लड़कियों के पिता और
भाई यह बता रहे हैं कि इन दोनों बहनों का अपहरण करके जबरन धर्म परिवर्तन
कराया गया और निकाह करवा दिया गया। दोनों बच्चियां अभी 13 और 15 साल की
हैं।
इसके बाद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
ने 24 मार्च को इस मुद्दे को उठाया। इसपर कार्यवाही करते हुए पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री इमरान खान ने तुरंत जाँच के आदेश दिए जिसके बाद इस मामले से
जुड़े 7 लोगों की गिरफ्तारी हुई।
हालांकि इस मामले
में एक दूसरा पहलू भी सामने आ रहा है। सोशल मीडिया पर एक दूसरी वीडियो भी
सामने आयी है जिसमें दोनों बच्चियाँ यह कहते हुए दिख रहीं कि उनके साथ किसी
प्रकार की जबरजस्ती नहीं कि गयी है बल्कि उन्होंने स्वेच्छा से धर्म
परिवर्तन किया है। इसके साथ ही दोनों बच्चियों और उनके साथ तथाकथित रूप से
निकाह किये हुए लड़कों ने स्थानीय न्यायालय की शरण ली है और जबरन
धर्म परिवर्तन के आरोपों को ख़ारिज करते हुए अपनी सुरक्षा की मांग की है।
इस मामले में सच्चाई क्या है यह तो जाँच के बाद ही पता चलेगा पर यहाँ पर कुछ बातें गौर करने वाली हैं-
1. बच्चियों ने अगर अपनी इच्छा से भी ये निर्णय लिया है फिर भी 13 साल और 15 साल उम्र की इन नाबालिक लड़कियों की शादी कितनी वैध है?
2.कुछ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान में इस तरह के जबरन धर्म परिवर्तन
और निकाह की कई घटनाएँ होती रहती हैं। ऐसे में इमरान खान द्वारा चुनाव के
दौरान अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और उनकी उन्नति के किये गए वादे कहाँ
गए?
3. पाकिस्तान में भी नाबालिक विवाह अवैध है, ऐसे में कैसे खुल्लमखुल्ला ऐसी शादियां होती रहती हैं?
ऐसे कई सवाल हैं जो पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सुरक्षा, बाल मानवाधिकारों और कानूनों की पोल पट्टी खोल कर रख देते हैं।
दूसरा मामला
होली
के दिन ही गुरुग्राम में एक मुस्लिम परिवार पर एक भीड़ ने हमला कर दिया और
उनको डंडों से बुरी तरह मारा पीटा। भीड़ ने मुस्लिम परिवार के सदस्यों से
पाकिस्तान जाने की बात कही। यह खबर आने के बाद पुलिस ने कार्यवाही करते हुए
अब तक 5 लोगों को गिरफ्तार किया है व आगे की प्रक्रिया चल रही है।
होली
के दिन हुए इन दोनों मामलों पर अगर विचार करें तो दोनों में एक समानता
दिखती है। दोनों ही देशों में अल्पसंख्यक वर्ग निशाने पर है। पूरी दुनिया
में किस तरह अल्पसंख्यको पर हमले बढ़ रहे हैं और कैसे फासीवादी राजनीति उभार
पर है इसकी चर्चा हम नीचे के लेख में कर चुके हैं।
न्यूजीलैंड में हुआ आतंकवादी हमला एक गम्भीर खतरे की ओर इशारा करता है।
न्यूजीलैंड में हुआ आतंकवादी हमला एक गम्भीर खतरे की ओर इशारा करता है।
इन
देशों की सरकारें तमाम वायदों और खानापूर्ति की कार्यवाहियों के बावजूद
ऐसी नफरत की राजनीति को या तो खुद बढ़ावा देती हैं या उसका फायदा उठाती हैं।
कोई भी सरकार धार्मिक कट्टरपंथ को इसीलिए जिंदा रखना चाहती है क्योंकि
आर्थिक संकट और दमनकारी नीतियों के कारण जनता में पैदा हुए असंतोष को इसी
हथियार से दबाया जा सकता है।
पाकिस्तान के एक
मंत्री भारत को यह नसीहत दे रहे हैं कि भारत अपने अल्पसंख्यकों पर ध्यान
दे। एकतरह से यह इस मामले पर पर्दा डालने का काम है कि जब भारत में खुद
अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले हो रहे तो भारत पाकिस्तान के मामले पर न बोले।
इसका मतलब यही है कि मैं अगर नंगा हूँ तो तू भी तो नंगा है। "व्हाटअबाउट"
का ही यह एक रूप है। जनता को इससे सचेत रहने की जरूरत है। कई सारे लोग हैं
जिनका खून बस तभी खौलता है जब उनके जाति-धर्म वाले व्यक्ति के साथ बुरा
होता है। अगर एक मुस्लिम भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा पर
बोलता है पर पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यकों के साथ हो रही ज्यादतियों
पर चुप रहता है तो ऐसा व्यक्ति बीमार साम्प्रदायिक मानसिकता का है। ऐसे ही
अगर किसी हिन्दू का दिल तभी दुखी होता है जब उसके धर्म के अल्पसंख्यकों पर
हमला हो तो ऐसा व्यक्ति भी अपनी संवेदनशीलता और न्यायप्रियता बेच चुका है।
अपराध किसी भी समुदाय-नस्ल-जाति के खिलाफ हो वह अपराध होता है। आज पूरी
दुनिया के न्यायप्रिय लोगों का यह कर्तव्य है कि वह धार्मिक अल्पसंख्यकों
(चाहे वो किसी देश-क्षेत्र-जाति-धर्म-नस्ल के अल्पसंख्यक हों) पर हो रही
ज्यादतियों पर खुलकर बोलें। तभी एक बेहतर समाज और दुनिया का निर्माण संभव
है।
👍
ReplyDeleteMain shahmat hoon
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